Tuesday, April 5, 2022

जंगल




मैं जंगल हूँ

मेरी हरी भरी पनाह के नीचे

जीते हैं सुकून से

पंछी, पेड, पौधे, जानवर 


ये है मेरे अपने 

वे मानते है मुझे घर 


घर 


जो उनको देता है 

एक प्यारी सी जगह

जो है उनकी अपनी 


आझाद है वे यहां... 


किसी संग्रहालय से

कई बेहतर 

है उनकी जिंदगी 


वह स्वतंत्र है 

मैं उनकी स्वतंत्रता का 

सम्मान रखता हूं 


मैं जंगल हूं

सबको अपने मे समा लेता हूं! 

-आसावरी समीर

 

Jungle


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