मैने एक सपना देखा
हरेभरे एक बाग का
फुलो मे तीतलिया खेल रही थी
सूरज की किरने चमक रही थी
आम के पेड के नीचे
झुला मै झूल रही थी
चिडिया उस पे चहक रही थी...
और
आंख खुली तो पाया
बाग की जगह था एक जंगल
कॉंक्रीट का
फुल कहा से आयेंगे
सोच रही थी....
और देखा..
आम तो नही
पर IPad जरूर है
खेलने के लिये...
चारो तरफ प्रकाश ही प्रकाश है
ट्युबलाईट का..
जो अंधेरे की खूबसुरती को
छुपाये बैठा था
चिडिया चहकती तो है
पर मै ना चिडिया देख पाती
ना खुद को...
सच मे
सपना कभी बोल देता है
सच्ची कहानी ईंसान की...